सुदर्शन क्रिया क्या है? इसे कैसे करते हैं, जानें कैसे ये है शरीर के लिए बेहद फायदेमंद

 

सुदर्शन क्रिया क्या है? इसे कैसे करते हैं, जानें कैसे ये है शरीर के लिए बेहद फायदेमंद


जानें सुदर्शन क्रिया है कैसे फायदेमंद (सांकेतिक चित्र )

Know All About Sudarshan Kriya- सुदर्शन क्रिया सांसों से जुड़ा एक ऐसा योगासन है जिसमें धीमी और तेज गति से सांसे अंदर-बाहर करनी होती है. यदि आप इस क्रिया को नियमित रूप से करते हैं तो सांसो पर पूरी तरह नियंत्रण पा लेते हैं जिससे आपका इम्यून सिस्टम भी बेहतर होता है

 


Know All About Sudarshan Kriya- सुदर्शन क्रिया सांसों से जुड़ा एक ऐसा योगासन है जिसमें धीमी और तेज गति से सांसे अंदर-बाहर करनी होती है. यदि आप इस क्रिया को नियमित रूप से करते हैं तो सांसो पर पूरी तरह नियंत्रण पा लेते हैं जिससे आपका इम्यून सिस्टम भी बेहतर होता है और आप कई तरह की मानसिक बीमारियों से दूर रहते हैं. इस क्रिया को करने से मन शांत होता है, स्ट्रेस दूर रहता है, आत्मविश्वास बढ़ता है, नींद अच्छी आती है, शरीर का इम्यून सिस्टम मजबूत होता है और बॉडी का एनर्जी लेवल बढ़ जाता है. तो आइए जानते हैं कि कैसे की जाती है सुदर्शन क्रिया...

उज्जायी प्राणायाम (Victorious Breath): सुखासन में बैठ जाएं. अपनी जीभ को नाली की तरह बनाकर होठों के बीच से हल्का सा बाहर निकालें. बाहर निकली हुई जीभ से अंदर की सांस को बाहर निकालें. अब धीरे-धीरे गहरी सांस लें, सांस को जितना हो सके उतनी देर तक अंदर रखें. शरीर को थोड़ा ढ़ीला छोड़कर सांस को धीरे-धीरे बाहर निकालें. आप इस आसन को लेटकर या बैठकर भी कर सकते हैं.

भस्त्रिका प्राणायाम (Bellows Breath): भस्त्रिका का अभ्यास लंग् की कैपिसिटी को बढ़ाने के लिए करें. यह मुख्य रूप से डीप ब्रीदिंग है. इससे आपका रेस्पिरेटरी सिस्टम मजबूत होगा. भस्त्रिका प्राणायाम बहुत ही महत्वपूर्ण प्राणायाम है. इससे तेजी से रक्त की शुद्धि होती है. साथ ही शरीर के विभिन्न अंगों में रक्त का संचार तेज होता है.

ओम का जाप (Om chanting): ब्रह्मांड का ध्यान करते हुए आंखें बंद कर लें और पेट से सांस लेते हुए ओम का उच्चारण करें . ऐसा करने से आपको सकारात्मक उर्जा मिलती है साथ ही मन भी शांत होता है.

क्रिया (Purifying Breath) : सबसे आखिरी में सांसो की गति को बार बार बदलना होता है. इसके लिए आंखें बंद करके पहले धीमी गति से सांस लें इसके बाद सांसों की स्पीड थोड़ी बढ़ा दें और अंत में जाकर सांसो की गति काफी तेज कर दें. सांसों की यह सारी गतिविधि एक लय में की जाती है और एक चक्र पूरा होना चाहिए. इस बात का ख़ास ख्याल रखें कि सांसो को अंदर लेने का समय बाहर छोड़ने वाले समय से दोगुना होना चाहिए. इस क्रिया को करने से आपका मन शुद्ध होता है.

 

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